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रुद्राक्ष के महत्व, लाभ और धारण विधि-Importance, benefits and method of wearing Rudraksha


रुद्राक्ष के महत्व, लाभ और धारण विधि-Importance, benefits and method of wearing Rudraksha


    रुद्राक्ष की उत्पत्ति/Origin of Rudraksha

    रूद्राक्ष-Rudraksha एक जंगली फल के अंदर से निकलने वाला बीज है जोकि पहाड़ी क्षेत्र  में पाया जाता है ,रुद्राक्ष का पेड़ भारत में हिमालय क्षेत्र में और असम ,उत्तरांचल,नेपाल , मलेशिया और इंडोनेशिया  के जंगलो में पाए जाते है नेपाल और इंडोनेशिया से रुद्राक्ष सबसे अधिक मात्रा मे निर्यात भारत में होता है| 

    धार्मिक मान्यता/Religious Affiliation

    धार्मिक ग्रंथो में बताया गया है की रूद्राक्ष-Rudrakshaके पेड़ की उत्त्पत्ति भगवान् शिव के तपस्या के उपरान्त निकलने वाले आंसू से हुई है, जिसमें रूद्र-  भगवान शिव का ही नाम है और अक्ष का अर्थ आंसू से है रुद्राक्ष =रूद्र +अक्ष से बना  हुआ शब्द है जिसका अर्थ है भगवान् शिव के आंसू और यह भगवान् शिव का प्रतीक है, इस प्रकार रुद्राक्ष की उत्त्पत्ति भगवान् शिव के आंसुओ से हुआ है और इसको धारण करने वाला हर व्यक्ति भगवान् शिव को प्रिय है

    रुद्राक्ष के प्रकार/Types of Rudraksh

    विशेषज्ञों एवं धार्मिक ग्रंथों के अनुसार के अनुसार रूद्राक्ष-Rudraksha 14 मुखी , 21 मुखी और शिव महापुराण के अनुसार रुद्राक्ष 38 मुखी तक होते है |  लेकिन अधिकांशतः  रुद्राक्ष 21 मुखी तक ही देखने को मिलते है | इनमें से एक (1) मुखी और 14 मुखी रुद्राक्ष बहुत ही दुर्लभ होते है और बहुत ही कम मात्रा में पाए जाते है | पांच -5 मुखी रुद्राक्ष सबसे अधिक होते है और आसानी से उपलब्ध हो जाते है |

    रुद्राक्ष धारण करने का महत्व/Importance of wearing Rudraksha

    वैज्ञानिक महत्व/Scientific importance: – रूद्राक्ष-Rudraksha को शरीर पर धारण करने के  इसके वैज्ञानिक कारण है  रुद्राक्ष के रोम छिद्रों से एक अलग प्रकार का स्पदंन/Spandan होता है जो मानव ह्रदय/ Heart पर सकारात्मक/Positive  प्रभाव दिखाता है | रुद्राक्ष के धारण करने से ह्रदय रक्त चाप/ Blood Pressor सामान्य रहता है | इसके अतिरिक्त मानव मस्तिस्क पर भी रुद्राक्ष से निकलने वाली विशेष तरंगे/Rays सकारात्मक/Positive  प्रभाव दिखाती है | रुद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति तनाव ,चिंता और अवसाद आदि से मुक्त रहता है और स्वस्थ जीवन जीता है |

    धार्मिक महत्व/Religious Significance: – रूद्राक्ष-Rudraksha भगवान शिव को बहुत प्रिय होते है अतः इन्हें धारण करने वाले मनुष्य पर हमेशा भगवान शिव की विशेष कृपा बनी रहती है | रुद्राक्ष धारण करने से सभी प्रकार की नकारात्मक उर्जा दूर रहती है | भय आदि से मुक्ति मिलती है, इंसान निरोगी, निडर होता है | इसको धारण करने वाला हर व्यक्ति भगवान् शिव को प्रिय है, रुद्राक्ष के मुख अथवा प्रकार के आधार पर इसके धार्मिक महत्व को और स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है-

    एक मुखी रुद्राक्ष/ 1 Mukhi Rudraksh


    एक मुखी रुद्राक्ष/ 1 Mukhi Rudraksh

    इसके मुख्य ग्रह सूर्य होते हैं। इसे धारण करने से हृदय रोग, नेत्र रोग, सिर दर्द का कष्ट दूर होता है। चेतना का द्वार खुलता है, मन विकार रहित होता है और भय मुक्त रहता है। लक्ष्मी की कृपा होती है।

    दो मुखी रुद्राक्ष/ 2 Mukhi Rudraksh

    दो मुखी रुद्राक्ष/ 2 Mukhi Rudraksh

    मुख्य ग्रह चन्द्र हैं यह शिव और शक्ति का प्रतीक है मनुष्य इसे धारण कर फेफड़े, गुर्दे, वायु और आंख के रोग को बचाता है। यह माता-पिता के लिए भी शुभ होता है।

    तीन मुखी रुद्राक्ष/ 3 Mukhi Rudraksh

    तीन मुखी रुद्राक्ष/ 3 Mukhi Rudraksh


    मुख्य ग्रह मंगल, भगवान शिव त्रिनेत्र हैं। भगवती महाकाली भी त्रिनेत्रा है। यह तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना साक्षात भगवान शिव और शक्ति को धारण करना है। यह अग्रि स्वरूप है इसका धारण करना रक्तविकार, रक्तचाप, कमजोरी, मासिक धर्म, अल्सर में लाभप्रद है। आज्ञा चक्र जागरण (थर्ड आई) में इसका विशेष महत्व है।

    चार मुखी रुद्राक्ष/ 4 Mukhi Rudraksh

    चार मुखी रुद्राक्ष/ 4 Mukhi Rudraksh

    चार मुखी रुद्राक्ष के मुख्य देवता ब्रह्मा हैं और यह बुधग्रह का प्रतिनिधित्व करता है इसे वैज्ञानिक, शोधकर्त्ता और चिकित्सक यदि पहनें तो उन्हें विशेष प्रगति का फल देता है। यह मानसिक रोग, बुखार, पक्षाघात, नाक की बीमारी में भी लाभप्रद है।

    पांच मुखी रुद्राक्ष/ 5 Mukhi Rudraksha

    पांच मुखी रुद्राक्ष/ 5 Mukhi Rudraksha

    यह साक्षात भगवान शिव का प्रसाद एवं सुलभ भी है। यह सर्व रोग हरण करता है। मधुमेह, ब्लडप्रैशर, नाक, कान, गुर्दा की बीमारी में धारण करना लाभप्रद है। यह बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है।

    छ: मुखी रुद्राक्ष/ 6 Mukhi Rudraksha

    छ: मुखी रुद्राक्ष/ 6 Mukhi Rudraksha

    शिवजी के पुत्र कार्तिकेय का प्रतिनिधित्व करता है। इस पर शुक्रग्रह सत्तारूढ़ है। शरीर के समस्त विकारों को दूर करता है, उत्तम सोच-विचार को जन्म देता है, राजदरबार में सम्मान विजय प्राप्त कराता है।

    सात मुखी रुद्राक्ष/ 7 Mukhi Rudraksha

    सात मुखी रुद्राक्ष/ 7 Mukhi Rudraksha

    इस पर शनिग्रह की सत्तारूढ़ता है। यह भगवती महालक्ष्मी, सप्त ऋषियों का प्रतिनिधित्व करता है। लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है, हड्डी के रोग दूर करता है, यह मस्तिष्क से संबंधित रोगों को भी रोकता है।

    आठ मुखी रुद्राक्ष/ 8 Mukhi Rudraksha

    आठ मुखी रुद्राक्ष/ 8 Mukhi Rudraksha

    भैरव का स्वरूप माना जाता है, इसे धारण करने वाला व्यक्ति विजय प्राप्त करता है। गणेश जी की कृपा रहती है। त्वचा रोग, नेत्र रोग से छुटकारा मिलता है, प्रेत बाधा का भय नहीं रहता। इस पर राहू ग्रह सत्तारूढ़ है।

    नौ मुखी रुद्राक्ष/ 9 Mukhi Rudraksha

    नौ मुखी रुद्राक्ष/ 9 Mukhi Rudraksha


    नवग्रहों के उत्पात से रक्षा करता है। नौ देवियों का प्रतीक है। दरिद्रता नाशक होता है। लगभग सभी रोगों से मुक्ति का मार्ग देता है।

    दस मुखी रुद्राक्ष/ 10 Mukhi Rudraksha

    दस मुखी रुद्राक्ष/ 10 Mukhi Rudraksha


    भगवान विष्णु का प्रतीक स्वरूप है। इसे धारण करने से परम पवित्र विचार बनता है। अन्याय करने का मन नहीं होता। सन्मार्ग पर चलने का ही योग बनता है। कोई अन्याय नहीं कर सकता, उदर और नेत्र का रोग दूर करता है।

    ग्यारह मुखी रुद्राक्ष/ 11 Mukhi Rudraksha

    ग्यारह मुखी रुद्राक्ष/ 11 Mukhi Rudraksha

    रुद्र के ग्यारहवें स्वरूप के प्रतीक, इस रुद्राक्ष को धारण करना परम शुभकारी है। इसके प्रभाव से धर्म का मार्ग मिलता है। धार्मिक लोगों का संग मिलता है। तीर्थयात्रा कराता है। ईश्वर की कृपा का मार्ग बनता है।

    बारह मुखी रुद्राक्ष/ 12 Mukhi Rudraksha

    बारह मुखी रुद्राक्ष/ 12 Mukhi Rudraksha

    बारह ज्योतिर्लिंगों का प्रतिनिधित्व करता है। शिव की कृपा से ज्ञानचक्षु खुलता है, नेत्र रोग दूर करता है। ब्रेन से संबंधित कष्ट का निवारण होता है।

    तेरह मुखी रुद्राक्ष/ 13 Mukhi Rudraksha

    तेरह मुखी रुद्राक्ष/ 13 Mukhi Rudraksha



    इन्द्र का प्रतिनिधित्व करते हुए मानव को सांसारिक सुख देता है, दरिद्रता का विनाश करता है, हड्डी, जोड़ दर्द, दांत के रोग से बचाता है

    चौदह मुखी रुद्राक्ष/ 14 Mukhi Rudraksha

    चौदह मुखी रुद्राक्ष/ 14 Mukhi Rudraksha

    भगवान शंकर का प्रतीक है। शनि के प्रकोप को दूर करता है, त्वचा रोग, बाल के रोग, उदर कष्ट को दूर करता है। शिव भक्त बनने का मार्ग प्रशस्त करता है।

    रूद्राक्ष-Rudraksha को विधान से अभिमंत्रित किया जाता है, फिर उसका उपयोग किया जाता है। रुद्राक्ष को अभिमंत्रित करने से वह अपार गुणशाली होता है। अभिमंत्रित रुद्राक्ष से मानव शरीर का प्राण तत्व अथवा विद्युत शक्ति नियमित होती है। भूतबाधा, प्रेतबाधा, ग्रहबाधा, मानसिक रोग के अतिरिक्त हर प्रकार के शारीरिक कष्ट का निवारण होता है। केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को सशक्त करता है, जिससे रक्त चाप का नियंत्रण होता है। रोगनाशक उपाय रुद्राक्ष से किए जाते हैं, तनावपूर्ण जीवन शैली में ब्लडप्रैशर के साथ बे्रन हैमरेज, लकवा, मधुमेह जैसे भयानक रोगों की भीड़ लगी है। यदि इस आध्यात्मिक उपचार की ओर ध्यान दें तो शरीर को रोगमुक्त कर सकते हैं।

    रुद्राक्ष धारण करने की सम्पूर्ण विधि/Complete method of wearing Rudraksha

    रुद्राक्ष धारण करने की सम्पूर्ण विधि Complete method of wearing Rudraksha

    रूद्राक्ष-Rudraksha को धारण करना एक महत्वपूर्ण कार्य होता है. रुद्राक्ष को धारण करने से पूर्व कुछ शुद्ध पवित्र कर्म किए जाते हैं, जिनके उपरांत रुद्राक्ष अभिमंत्रित हो धारण एवं उपयोग करने योग्य बनता है. सर्वप्रथम रुद्राक्ष की माला या रुद्राक्ष, जो भी आप धारण करना चाहते हैं, उसको पांच से सात दिनों तक सरसों के तेल में भिगोकर रखना चाहिए तत्पश्चात रुद्राक्ष के मनकों को शुद्ध लाल धागे में माला तैयार करने के बाद पंचामृत (गंगाजल मिश्रित रूप से) और पंचगव्य को मिलाकर स्नान करवाना चाहिए और प्रतिष्ठा के समय ॐ नमः शिवाय इस पंचाक्षर मंत्र को पढ़ना चाहिए। उसके पश्चात पुनः गंगाजल में शुद्ध करके निम्नलिखित मंत्र पढ़तेहुए चंदन, बिल्वपत्र, लालपुष्प, धूप, दीप द्वारा पूजन करके अभिमंत्रित करे और ॐ तत्पुरुषाय विदमहे महादेवाय धीमहि तन्नो रूद्र: प्रचोदयात”108 बार मंत्र का जाप कर अभिमंत्रित करके धारण करना चाहिए।
    शिवपूजन, मंत्र, जप, उपासना आरंभ करने से पूर्व ऊपर लिखी विधि के अनुसार रुद्राक्ष माला को धारण करने एवं एक अन्य रुद्राक्ष की माला का पूजन करके जप करना चाहिए। जपादि कार्यों में छोटे और धारण करने में बड़े रुद्राक्षों का ही उपयोग करे। तनाव से मुक्ति हेतु 100 दानों की, अच्छी सेहत एवं आरोग्य के लिए 140 दानों की, अर्थ प्राप्ति के लिए 62 दानों की तथा सभी कामनाओं की पूर्ति हेतु 108 दानों की माला धारण करे। जप आदि कार्यों में 108 दानों की माला ही उपयोगी मानी गई है। अभीष्ट की प्राप्ति के लिए 50 दानों की माला धारण करे। द्गिाव पुराण के अनुसार 26 दानों की माला मस्तक पर, 50 दानों की माला हृदय पर, 16 दानों की माला भुजा पर तथा 12 दानों की माला मणिबंध पर धारण करनी चाहिए। जिस रुद्राक्ष माला से जप करते हो, उसे धारण नहीं करे। इसी प्रकार जो माला धारण करें, उससे जप न करे। दूसरों के द्वारा उपयोग मे लाए गए रुद्राक्ष या रुद्राक्ष माला को प्रयोग में न लाएं।

    रुद्राक्ष धारण करने का शुभ मुहूर्त/Auspicious time to wear Rudraksha

    रुद्राक्ष धारण करने का शुभ मुहूर्त Auspicious time to wear Rudraksha

    रूद्राक्ष-Rudraksha को पूर्णिमा जैसे शुभ दिनों में धारण करने पर व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त ग्रहण में, संक्रांति, अमावस्या में धारण किया जाना चाहिए रुद्राक्ष का आधार ब्रह्मा जी हैं इसकी नाभि विष्णु हैं, इसके चेहरे रुद्र है और इसके छिद्र देवताओं के होते हैं।  रुद्राक्ष के दिव्य गुणों से जीव दुखों से मुक्ति पा कर सुखमय जीवन जीता है तथा भगवान शिव की कृपा को पाता है।

    रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को क्या सावधानियां रखनी चाहिए/What precautions should a person wearing Rudraksha take?

    रूद्राक्ष-Rudraksha को साक्षात् भगवान शिव का ही रूद्र रूप माना जाता है अतः इसे धारण करने वाले व्यक्ति को सदैव पवित्र रहना चाहिए , रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को तामसिक पदार्थों से दूर रहना चाहिए। मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन  आदि का त्याग करना हितकर होता है। आत्मिक शुद्धता के द्वारा ही रुद्राक्ष के लाभ को प्राप्त किया जा सकता है। रुद्राक्ष मन को पवित्र कर विचारों को पवित्र करता है।| रुद्राक्ष Rudraksha पहनकर किसी भी शवयात्रा या शमशान घाट में न जाये | घर पर कभी  सूतक के दिनों का आभाष होने पर इसे निकालकर पूजा स्थल पर रख दे और बाद में गंगाजल से पवित्र करने के पश्चात् धूप दीप दिखाकर ही धारण करें |

    श्लोकी रुद्राक्ष महिमाम्

    श्लोकी रुद्राक्ष महिमाम् 

    एकमुखी रुद्राक्ष 

    एकवक्त्रः शिवः साक्षात् 

    ब्रह्महत्या व्यपोहति।

     

    द्विमुखी रुद्राक्ष 

    द्विवक्त्रो देव देवशो गौवधं ना नाशयेद्ध्रुवुम्।

     

    तीन मुखी रुद्राक्ष

    त्रिवक्त्रोऽग्नेर्विज्ञेयः स्त्री हत्या च व्यपोहति।

     

    चतुर्मुखी रुद्राक्ष 

    चतुर्वक्त्रः स्वयं ब्रह्मा नरहत्या व्यपोहति।

     

    पंचमुखी रुद्राक्ष 

    पंचवक्त्रः स्वयं रुद्रः कालाग्निर्नाम नामतः।

    अगम्यागमनं चैव तथा चाभयभक्षणम्।

    मुच्यत नात्र संदेहः पंचवक्त्र धारणात्।।

     

    षट्मुखी रुद्राक्ष

    षड्वक्त्रः कार्तिकेयस्तु धारयेत् दक्षिणे भुजे।

    भ्रूणहत्यादिभिः पापैर्मुच्यते नात्र संशयः।।

     

    सप्तमुखी रुद्राक्ष 

    सप्तवक्त्रो महासेन अनन्तो नाम नामतः।

    स्वर्णस्तेयं गौवधश्चैव कृत्यापाप शतानि च ।।

     

    अष्टमुखी रुद्राक्ष 

    अष्टवक्त्रो महासेन साक्षात् देवो विनायकः।

    मानकूटाविजं पाप हर स्त्री जन्ममेव च ।

    तप्तापं न भदेद्वत्स अष्टवक्त्रस्य धारणम् ।।

     

    नवमुखी रुद्राक्ष 

    नव मुखी भैरवं नाम कापिलं मुक्तिदं स्मृतम्।

    धारणाद् वामहस्ते तु मम तुल्यो भवेन्नरः।

    लक्ष्कोटि सहस्राणि पापानि प्रतिमुंचति।।

    दसमुखी रुद्राक्ष 

    दशवक्त्रो महासेन साक्षाद् देवो जनार्दनः।

    गृहश्चैव पिशाचस्य बेताला ब्रह्मराक्षसाः।

    नागाभ्य न दशंतीह दशवक्त्रस्य धारणात् 

     

    एकादश मुखी रुद्राक्ष 

    एकादशास्यो रुद्रो हि रूद्राश्चैकादशा: स्मृताः।

    शिखायां धारेयन्नित्यं तस्य पुण्यफलं श्रृणु ।।

    अश्वमेघ सहस्राणि वाजपेय शतानि च।

    तत्फलं लभते मर्त्यो रूद्रवक्त्रस्य धारणात् ।।

     

    द्वादशमुखी रुद्राक्ष 

    द्वादशास्यो हि रुद्राक्षो साक्षाद् देवः प्रभाकरः।

    रुद्राक्षं द्वादशास्यन्तु धारयेत्कण्ठ देशतः।।

    नश्यन्ति तानि पापानि वक्त्रद् वादश धारणात् ।

    आदित्याश्चेव ते सर्वे रुद्राक्ष शेव व्यवस्थितः ।।

     

    त्रयोदशमुखी रुद्राक्ष 

    त्रयोदशास्यं रुद्राक्षं वत्स यो धारयेन्नरः ।

    सर्वान्कामानावाप्नोति सौभाग्यमतुलं भवेत् ।।

    सर्व रसायनं चैव धातवादस्तथैव च ।

    सर्व सिध्यति रुद्राक्षान्धारयन्ति च ये नराः ।।

     

    चतुर्दशमुखी रुद्राक्ष 

    चतुर्दशास्यो रुद्राक्षो साक्षाद् देवो हनुमतः । 

    धारयेन्मूर्घि्न यो याति परमं पदम् ।। 


    विनम्र आग्रह - अगर आप मेरे द्वारा साझा की गयी जानकारी से संतुष्ट है तो ब्लॉग पोस्ट पर कमेंट जरूर लिखें  धन्यवाद !😊

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